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महंगा हुआ पुआल,25 सौ रुपए से 45 सौ रुपये तक बिक रही पराली।

 

रिपोर्ट:- पन्ना लाल कुमार।

सारण-: बाढ़ के कारण इस वर्ष जिले के 8 प्रखण्डों के सैकड़ो एकड़ खेतों के लगी फसल के साथ-साथ पशुओं के खाने के लिए चारा भी बर्बाद हो गई। ऐसे में इस बार धान से अधिक कीमत पर पशुओं को खिलाने के लिए पुआल की बिक्री हो रही है।पांच-सात साल पहले तक किसान खलिहान खाली करने हेतु मुक्त में पुआल किसी को दे देते थे।वही अब धान बाजारों में ग्यारह सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से व्यापारी खरीद रहे हैं, तो पुआल एक हजार पूआल 25 सौ से लेकर 45 सौ के कीमत पर बिक्री हो रही है।

बाढ़ आठ प्रखण्ड के फसलों को किया बर्बाद-:

अगस्त से लेकर अक्टूबर तक जिला में आई विनाशकारी बाढ़ ने अमनौर, मकेर, मढ़ौरा,मसरख ,पानापुर ,इसुआपुर,बनियापुर समेत गड़खा और परसा के भी कई इलाकों में धान,मक्के ,हरि सब्जियां समेत अन्य फसल बर्बाद कर दिया।कई जगहों पर विधानसभा और पंचायत चुनाव में भाग्य आजमाने वाले प्रत्याशियों ने बाढ़ पीड़ितों के मदद को आगे आए थे।मनुष्य तो सरकारी व बाजारों से राशन खरीद अपनी पेट भर लेते थे,परन्तु बाढ़ प्रभावित सैकड़ो गांवों में मवेशियों को भोजन के लिए काफी संकट उत्पन्न हो गई थी।खोप में रखी गेंहू के भूसे सड़ गए।लोग 10-20 किमी दूर जाकर पशुओं के लिए हरी चारा लाते थे।बाढ़ के दौरान किसी तरह मवेशियों को भोजन हुआ।बाढ़ समाप्त होते ही खेतों में मक्के और धान के फसल नही होने से किसानों में हाहाकार मच गई।कई गरीब और लाचार पशुपालकों के गायें व भैंस बीमारी से मर गई तो कई चारा की कमी को देख औने पौने दामों में मवेशियों को बेच दिए।

दूसरे राज्यों में नही जा रही धान ,बोआई की कीमत भी नही निकल रही हैं-:

पंजाब हरियाणा समेत अन्य राज्यों में बड़े किसानों के पिछले कुछ दिनों से हड़ताल पर होने और उधोगों की बन्द वजह से बिहार की धान दूसरे राज्यों में बिक्री के लिए नहीं जा रही है। ऐसे में लोकल व्यापारियों के बीच 1100 रुपये प्रति क्विंटल के दाम में मजबूरन धान बेची जा रही है अभी तक जिला में किसी भी पैक्सअध्यक्षों द्वारा धान की खरीदारी शुरू नहीं की गई है। जिससे किसानों में आक्रोश व्याप्त हो रहा है।सरकार द्वारा प्रति क्विंटल 18 सौ रुपये धान लेने का निर्देश है परंतु पैक्स अध्यक्षों द्वारा किसानों की धान नहीं खरीद कर हर वर्ष सिर्फ कागजों में खानापूर्ति की जाती है।

कई जिलों में पूआल जलाने पर हो रही किसानों पर केस ,छपरा में मारामारी-:

बढ़ते प्रदूषण रोकने को लेकर हाईकोर्ट तथा केंद्र और राज्य सरकार के निर्देश के बाद प्रशासन मुस्तैद है। पराली जलाने वाले पटना आरा समेत कई जिलों में सैकड़ों किसानों पर अब तक प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है, परंतु छपरा जिला का आधा हिस्सा बाढ़ से प्रभावित था।जहां धान का फसल नहीं हो पाई जिससे यहां पर किसानों को पशुओं के चारे के लिए पुआल की कीमत आसमान छू रही है।


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