रिपोर्ट:- राजीव रंजन कुमार।
सिवान-: राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत 0 से 19 वर्ष तक के बच्चों की 38 प्रकार की गंभीर बीमारियों का उपचार मुफ्त में किया जाता है। न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट इनमें से एक है। इसी दौरान हसनपुरा प्रखंड के डीबी में एक मासूम को राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत नई जिंदगी मिली है। वह जन्म से ही न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट से पीड़ित थी। जहां हसनपुरा स्थित समुदाययिक स्वास्थ्य में कार्यरत आरबीएसके के डॉक्टर महेंद्र कुमार ने जांच के बाद सीवान रेफर कर दिया। जहां न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट से पीड़ित मासूम को आइजीआइएमएस पटना में नि:शुल्क सफल ऑपरेशन किया गया। अब बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है। मासूम के माता शारदा देवी व पिता रामबाबू यादव ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम और डॉक्टरों को धन्यवाद देते हुए कहा कि अब हमारा बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है। गरीबी से जूझ रहे परिजन बेटी के इलाज के लिए परेशान थे। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के बारे में उन्हें पता चला। जहां ट्रांसपोर्टेशन से लेकर ऑपरेशन तक जिसमे लगभग ढाई लाख रुपये तक का खर्च आया। जिसका कुल भरपाई राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत हुआ है। पीड़ित माता-पिता बताते हैं कि उनके बच्ची की पीठ पर जन्म से ही गांठ जैसा उभार था। डॉक्टरों ने कहा कि बच्चेे की तंत्रिका नली में समस्या है, जिसे मेडिकल भाषा में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट कहा जाता है। डॉक्टर ने बच्चे को जिला चिकित्सालय भेजा। जहां उसकी जांच से पुष्टि हुई कि बच्चा न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट से ग्रसित है।
क्या है न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के डॉक्टर महेंद्र कुमार ने बताया कि न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट दिमाग, स्पाइनल कॉर्ड और रीढ़ की हड्डी की जन्मजात विकृति है। यह तब दिखता है, जब दिमाग और रीढ़ की हड्डी में ऐसा विकार बन जाए कि यह पूर्ण रूप से बंद होने में विफल हो जाए। न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट गर्भावस्था के पहले 5 हफ्तों में ही हो जाता है। यह बहुत ही गंभीर जन्मजात रोग है। उन्होंने बताया कि अगर इसके इलाज की शुरुआत बच्चे के जन्म के 24 घंटे के अंदर न हो तो बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है। अगर बच्चे का सही समय पर इलाज़ न हुआ और तब भी जान बच गई तो वह विभिन्न प्रकार की शारीरिक अथवा मानसिक विकलांगता का शिकार हो सकता है।
न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट की ऐसे पहचान करें
बच्चे के शरीर, खासकर सिर या पीठ गांठ दिखे तो उसे तत्काल बच्चे को दिखाएं। उभार का रंग और आकार देखें। साथ ही देखें कि सूजन (गांठ) से कोई स्राव/रक्तश्राव तो नहीं हो रहा। बच्चे के पैर ठीक से काम करते हैं या नहीं। यह भी देखे कि उसे दस्त सही हो रहे हैं या नहीं। यह लक्षण दिखें तो बच्चे को न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट हो सकता है। इस तरह की स्थिति आमतौर पर गर्भावस्था के पहले महीने में उत्पन्न होती है।