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मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी।

डाॅ. सुजीत जी महाराज

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

सूर्य एक राशि मे एक माह रहते हैं। 14 को सूर्यदेव दिन में २ / बजकर ३७ / मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। अतः सूर्योदय से सूर्यास्त तक संक्रान्ति विषेश पुण्य काल रहेगा। गुरुवार को संक्रांति होने की वजह से यह नंदा और नक्षत्रानुसार महोदरी संक्रांति मानी जाएगी। संक्रांति के 6 घंटे 24 मिनट पहले से पुण्य काल का आरंभ हो जात है। इसलिए इस वर्ष ब्रह्म मुहूर्त से संक्रांति का स्नान दान पुण्य किया जा सकेगा। मकर संक्रांति से ही ऋतु में परिवर्तन होने लगता है। दिन लंबे होने लगते हैं और रातें छोटी हो जाती है। मकर संक्रांति के दिन शनि मकर में आते हैं। यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है। मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होते हैं। जब सूर्य देव उत्तरायण होते हैं, तब पृथ्वी प्रकाशमय होती है, अत: इस प्रकाश में शरीर का त्याग करने से मनुष्य का पुनर्जन्म नहीं होता है और वह ब्रह्मा को प्राप्त होता है। महाभारत काल के दौरान भीष्म पितामह जिन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था। उन्होंने भी मकर संक्रांति के दिन शरीर का त्याग किया था।मकर संक्रांति को दान का बहुत महत्व है।श्री आदित्यहृदयस्तोत्र का पाठ भी करें। तिल व उड़द का दान करें। कम्बल दान करें।सामूहिक खिचड़ी भोज का आयोजन भी होता है।


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