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इमाम जाफ़र सादिक की याद में फातिहा ख़्वानी।

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

हज़रत सैयदना इमाम जाफ़र सादिक रदियल्लाहु अन्हु की याद में घरों में फातिहा ख्वानी हुई। हज़रत सैयदना इमाम जाफ़र सादिक को शिद्दत से याद किया गया। हज़रत सैयदा जैनब बिन्ते अली रदियल्लाहु अन्हा का भी उर्स-ए-पाक मनाया गया। सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाज़ार में महफिल सजी। कुरआन ख़्वानी व फातिहा ख़्वानी की गई। जिसमें हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी ने कहा कि इस्लामी माह रजब बहुत ही बरकत वाला है। इसी माह की 15 तारीख को हज़रत सैयदना इमाम जाफ़र सादिक की शहादत हुई। आपको दुश्मनों ने ज़हर दिया। हज़रत सैयदना इमाम हुसैन के बेटे हज़रत सैयदना जैनुल आबेदीन आपके दादा व हज़रत इमाम मोहम्मद बाकर आपके वालिद हैं। इमामे आजम हज़रत इमाम अबू हनीफा आपके खास शागिर्द थे। आप बहुत बड़े वली, वैज्ञानिक, चिन्तक और दार्शनिक थे। आप आधुनिक केमिस्ट्री के पिता जाबिर इब्ने हय्यान के उस्ताद थे। आप अरबिक विज्ञान के स्वर्ण युग का आरंभकर्ता थे। आपने विज्ञान की बहुत सी शाखाओं की बुनियाद रखी।
हाफ़िज़ अलकमा ने कहा कि इमाम जाफ़र अल सादिक हज़रत सैयदना अली की चौथी पीढ़ी में थे। आपके पिता हज़रत इमाम मोहम्मद बाकर स्वयं एक वैज्ञानिक थे और मदीने में अपना कॉलेज चलाते हुए सैकड़ों शिष्यों को ज्ञान अर्पण करते थे। अपने पिता के बाद इमाम जाफ़र सादिक ने यह कार्य संभाला और अपने शिष्यों को कुछ ऐसी बातें बताईं जो इससे पहले अन्य किसी ने नहीं बताई थीं। मदीना के मुकद्दस कब्रिस्तान जन्नतुल बकी में आपका मजार है। वहीं हज़रत सैयदा जैनब बिन्ते अली रदियल्लाहु अन्हा के नाना पैग़ंबर-ए-आज़म मोहम्मद हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हैं। आपके पिता हज़रत सैयदना अली व माता हज़रत सैयदा फातिमा हैं। आपके भाई हज़रत इमाम हसन व इमाम हुसैन हैं। आपने कर्बला का पूरा वाकया अपनी आंखों से देखा। इमाम हुसैन व अहले बैत की शहादत देखी। आपके बच्चे भी शहीद किए गए मगर आपने सब्र, सच्चाई, तकवा का दामन नहीं छोड़ा। आप बहुत विद्वान, इबादतगुजार व परेहजगार खातून थीं। आपका विसाल 15 रजब को हुआ। मजार सीरिया में है। अंत में दरुदो सलाम पढ़कर दुआ-ए-खैर व बरकत मांगी गई।


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