बिछड़े को उनके अपनो से मिलाकर स्वयं को ऑसू बहाता है
गौरी शंकर गुप्त /कुशीनगर
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एक छोटी सी रियल कहानी
विधायक, सांसद, मुख्य मंत्री व प्रधान मंत्री बनना व बनाना आसान है परन्तु तरून बनना मुश्किल है |
*मुश्किल की घड़ी में*
संसार माननीय बनाता जरूर है परंतु जरूरत मंद, बेसहारा को सहारा देना व भूखे को रोटी दे पाना माननीयों को मुश्किल है |
*तरून हर लचार को अपना बना लेता है*
तरून एक युवा का नाम है,अगर हर युवा तरून बन जाय तो संसार में कोई अनाथ व असहाय न होगा |
तरून धैर्यवान युवा है, हर लचार को अपना बना लेता है, कभी बेटा बन जाता है, तो कभी भाई बन जाता है, तो कभी नाती पोता बन जाता है, तो कभी स्वयं को पिता- चाचा बन जाता है और बिछड़े को उनके अपनो से मिलकर स्वयं को आंसू बहाता है |
*तरून उसे कहते हैं जिसे संसार गणपति देवा के नाम से जय जयकार करते/करती है*
शायद तरून मिश्रा सूरत का रहने वाला है, समाज सेवी है, सकारात्मक सोच रखने वाला युवा है, गैरो को अपने सरल स्वभाव से अपना बना लेता है उसी का नाम है तरून युवा |
*तरून जैसे बालक को जन्म देने वाली मात-पिता को सादर प्रणाम*
तरून से मुलाकात तो कभी नही हुआ परन्तु सोशल मीडिया पर युवा का कर्म देखकर मेरे आंखों से आंसू छलक गए | दिल को छू लेने वाले युवा को सैलूट है | ऐसे युवा को संसार में मालिक और दे ताकि धर्म और जाति से परे होकर मानव रक्षा व सुरक्षा में अपना योगदान देता रहे और भूखे को रोटी और सोने के लिए विस्तर निरन्तर मिलता रहें |
*सच लिखता हूं काल्पनिक कहानी नहीं, खून से नहीं स्याही से लिखता हूं, सच लिखता हूं काल्पनिक कहानी नहीं* |