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आलेख
कार्तिक मास में दीपदान का महत्व

-लेखिका गरिमा सिंह, ब्यावर/अजमेर(राजस्थान)

हिंदू धर्म में कार्तिक मास को चतुर्मास का अंतिम मास माना जाता है। इस माह में भजन, पूजन और दान-पुण्‍य के साथ दीपदान का बहुत महत्‍व माना गया है। माना जाता है कि इस महीने में भगवान लक्ष्‍मीनारायण की विशेष कृपा भक्‍तों को प्राप्‍त होती है।

कार्तिक मास में दीपदान करना बहुत ही शुभफलदायी माना जाता है। माना जाता है कि कार्तिक माह में आकाशमंडल का सबसे बड़ा ग्रह माना जाने वाला सूर्य अपनी नीच की राशि तुला में गमन करता है। इस वजह से वातावरण में अंधकार पांव पसारने लगता है। इसलिए इस पूरे मास में दीपक जलाने, जप, तप और दान व स्‍नान करने का विशेष महत्‍व माना गया है। अगर किसी विशेष कारण से कार्तिक में प्रत्येक दिन आप दीपदान करने में असमर्थ हैं तो पांच विशेष दिन जरूर करें।

पद्मपुराण के उत्तरखंड में स्वयं महादेव कार्तिकेय को दीपावली, कार्तिक कृष्णपक्ष के पांच दिन में दीपदान का विशेष महत्व बताते हैं।

कृष्णपक्षे विशेषेण पुत्र पंचदिनानि च।
पुण्यानि तेषु यो दत्ते दीपं सोऽक्षयमाप्नुयात्।।

विशेषतः कृष्णपक्ष में 5 दिन (रमा एकादशी से दीपावली तक) बड़े पवित्र हैं। उनमें जो भी दान किया जाता है, वह सब अक्षय और सम्पूर्ण कामनाओं को पूर्ण करने वाला होता है।

पद्मपुराण के अनुसार, जो देवालय में, नदी के किनारे, सड़क पर दीप देता है, उसे सर्वतोमुखी लक्ष्मी प्राप्त होती है। कार्तिक में प्रतिदिन दो दीपक जरूर जलाएं। एक श्रीहरि नारायण के समक्ष तथा दूसरा शिवलिंग के समक्ष जलाएं।


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