*जाली करेंसी की बरामदगी का मामला*
*अपने ही बुने जाल में उलझती हुई दिख रही हैं तमकुहीराज पुलिस*
*न्यायालय की टिप्पणी से हलकान पुलिस टीम डैमेज कंट्रोल में जुटी*
*जाली करेंसी के मामले में आरोपियों को जमानत के दौरान न्यायालय की टिप्पणी के वजह से तमकुहीराज पुलिस की जमकर किरकिरी हो रही हैं और इस प्रकरण में लोगो द्वारा यह चर्चा किया जा रहा हैं कि अपने ही बुने जाल में फंसती नजर आ रही हैं तमकुहीराज पुलिस। न्यायालय की टिप्पड़ी के बाद महकमे में हड़कंप की स्थिति हैं और डैमेज कंट्रोल करने के लिए सुबह से ही तमकुहीराज थाने पर सीओ साहब के अगुवाई में साइबर सेल और तमकुही पुलिस द्वारा लगातार लिखा पढ़ी किया जा रहा हैं जिसके बारे में यह चर्चा हैं कि पुलिस अपनी साख बचाने के लिए गिरोहबंद अधिनियम के तहत कार्रवाई करने के प्रयास में हैं।*
*उल्लेखनीय हैं कि जाली करेंसी के मामले में तमकुहीराज पुलिस और साइबर सेल प्रभारी के कारनामो को राष्ट्रीय सहारा ने सार्वजनिक कर पुलिस के कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा किया था। कल जिला न्यायालय ने जमानत के दौरान पुलिस पर टिप्पणी कर “राष्ट्रीय सहारा” द्वारा उठाये गए सवालों पर सत्यता का मुहर लगा दिया हैं। जमानत होना और न होना रूटीन प्रक्रिया हैं लेकिन न्यायालय ने जमानत देने के दौरान इस मामले में दर्ज एफ आई आर पर जो टिप्पणी किया हैं वह नैतिकता और सुचिता का दावा करने वालो के मुँह पर करारा तमाचा हैं।*
*न्यायालय की टिप्पड़ी से बैकफुट पर हैं तमकुहीराज पुलिस*
*जाली करेंसी के मामले में बरामदगी करने वाली टीम ने जो फर्द लिखा हैं उस पर न्यायालय ने संज्ञान लेकर यह कहा हैं कि पुलिस ने आरोपियों के गिरफ्तारी का समय 23 सितंबर को सुबह चार बजकर बावन मिनट दिखाया हैं जबकि उसी दिन समाचार पत्रों में यह मामला प्रकाशित हो चूका हैं ऐसे में प्रथम दृष्टया यह गिरफ्तारी दिखाए गए समय से पहले की परिलक्षित हो रही हैं।न्यायालय ने यह कहा हैं कि सभी आरोपियों के पास से बराबर मात्रा में सही भारतीय नोट तथा कुछ के पास से बराबर मात्रा में जाली नोट बरामद करने का दावा हैं वह प्रथम दृष्टया बनावटी व मनगढ़ंत लगता हैं।फर्द बरामदगी का कोई जन साक्षी नहीं होना तथा बीएनएसएस (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता) की धारा 105 एवं 185(5) के अनुपालना का कोई साक्ष्य पत्रावली पर उपलब्ध नहीं होना प्रथम सुचना रिपोर्ट और फर्द बरामदगी को मनगढ़ंत होने की संभावना को जन्म देता हैं। न्यायालय के इस टिप्पणी के बाद महकमे में खलबली हैं और सभी पुरे जोर शोर से डैमेज कंट्रोल में जुटे हुए हैं।*
*आपरेशन व्हिल चेयर में खुली थी पुलिस टीम की पोल*
*इस मामले में गिरफ्तारी के बाद सभी आरोपियों को कप्तान साहब के पीसी के दौरान घायल दशा में व्हिल चेयर पर बैठकर रहम मांगते हुए दिखाया गया था और राष्ट्रीय स्तर पर खूब सुर्खिया बटोरी गयी थी लेकिन पीसी के आधे घंटे बाद सभी आरोपी हस्ते,मुस्कुराते मस्ती से अपने पैरों पर चलकर जेल जाते हुए एक विडिओ में देखे गए थे जिसको पूर्व विधायक अजय कुमार लल्लू ने ट्वीट कर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाया था। उस मामले में पुलिस द्वारा उनको पूछताछ के लिए नोटिस जारी करने का दावा किया गया लेकिन अभी तक वह नोटिस उन तक पहुंची हैं या नहीं और उनसे कोई पूछताछ हुआ हैं कि नहीं इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिल पा रही हैं।यह अलग बात हैं कि इस मामले में किरकिरी होने के बाद आपरेशन व्हिल चेयर की पटकथा लिखने वाले साइबर के सेल प्रभारी का पुलिस कप्तान ने जमकर क्लास लगाया था ऐसी चर्चा खूब चली थी।*
*उत्पाद बिभाग के टीम के चालक को भी बनाया जाली करेंसी मामले में मुल्ज़िम*
*जाली करेंसी मामले में आरोपी बनाये गए 13 लोगो में से एक नाम मनीष सिंह ऊर्फ छोटू निवासी जलालपुर थाना कुचायकोट बिहार का नाम भी शामिल हैं जो पहले शराब का तस्करी करता था और उसके उपर तरयासुजान थाने में पहले हत्या का प्रयास और आबकारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। चर्चा के अनुसार बाद में मनीष ऊर्फ छोटू ब्लथरी चेक पोस्ट पर उत्पाद बिभाग(आबकारी) की टीम के गाड़ी का चालक बन गया और पिछले कुछ महीनो से यूपी से बिहार जाने वाले शराब के खेप को पकड़वाने का मुख्य सूत्रधार था। चर्चा तो यह हैं कि शराब तस्करों को राहत पहुंचाने के लिए मनीष ऊर्फ छोटू को भी जाली करेंसी गिरोह का सदस्य बताकर उस पर मुकदमा दर्ज किया गया हैं। इस मामले में कितनी सच्चाई हैं यह जाँच के बाद ही पता चल पायेगा।*
*रिकवरी मेमो पर आरोपियों का हस्ताक्षर नहीं होने पर भी उठा था सवाल*
*इस बहूचर्चित मामले में रिकवरी मेमो पर इंस्पेक्टर तमकुहीराज अमित शर्मा के अलावा अन्य किसी भी पुलिस सदस्य का हस्ताक्षर नहीं हुआ था और इस मेमो के अंतिम पृष्ठ पर कोई डेट नहीं लिखा गया था और इस पर आरोपियों समेत बरामदगी में शामिल पुलिस दल के किसी सदस्य का हस्ताक्षर नहीं था। पेशी के दौरान पुलिस ने उक्त मेमो पर आरोपियों से हस्ताक्षर करने का दबाव बनाया लेकिन उन लोगो ने बिरोध दर्ज कराया तो न्यायालय ने संज्ञान में लेकर उक्त मेमो पर आरोपियों का हस्ताक्षर करवाया।*
*विवेचक के गैर हाजिर होने को लेकर भी तरह तरह की चर्चा*
*भारतीय अर्थब्यवस्था को खोखला करने वाली इस राष्ट्रद्रोही गतिबिधि का फर्द बरामदगी टीम का अगुवाई कर रहे तमकुहीराज के थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर अमित शर्मा ने लिखवाया था। सूत्रों की माने तो इस मामले की विवेचना थाने पर ही तैनात एक उपनिरीक्षक को सौपी गयी जबकि जानकार लोग बताते हैं कि अगर फर्द कोई इंस्पेक्टर लिखता हैं तो उसकी विवेचना उसी स्तर के अधिकारी द्वारा किया जाना चाहिए ना कि उनसे एक स्तर निचे के पदाधिकारी उपनिरीक्षक द्वारा किया जाना चाहिए। बहरहाल जो चर्चा हैं उसके मुताबिक जाली करेंसी की बरामदगी के मामले में झोलमाल देखते और भविष्य में अपना गर्दन फंसाता देख विवेचक जी कुछ निजी कारणों को दिखाकर गैरहाजिर हो गए और अब यह विवेचना शायद थाने पर तैनात एसएसआई से करवाया जा रहा हैं।*
*बरामदगी टीम में दागियों का दबदबा*
*जाली करेंसी के रिकवरी के मामले में थानाध्यक्ष तमकुहीराज अमित शर्मा की अग्रणी भूमिका रही। सूत्रों के अनुसार उनकी तैनाती पश्चिम के किसी जिले में थी और वहां पर किसी गंभीर प्रकरण में दोषी पाए जाने पर उन्हें प्रशासनिक आधार पर सबसे पूर्वी छोर पर स्थानांतरण किया गया। बैड इंट्री के वजह से वह काफी दिनों तक यहां पर बिना चार्ज के स्वाट टीम के प्रभारी रहे और बाद में उन्हें थाने का प्रभार मिला।लोकसभा चुनाव के दौरान वह स्थानांतरण पर गोरखपुर गए लेकिन वहां पर अधिकारियो के नाराजगी के वजह से मात्र पांच महीने भी नहीं टिक सके और वहां से आकर तमकुहीराज के थानाध्यक्ष बन गए। इस कड़ी में दूसरा नाम साइबर सेल प्रभारी मनोज कुमार पंत का हैं जो नोएडा सेक्टर 20 के थानाध्यक्ष रहने के दौरान आठ लाख रूपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार हुए थे और तीन पत्रकारों के साथ जेल भेजे गए थे बाद में उच्च न्यायालय ने उन्हें बहाल किया था। यही नहीं सूर्या समाचार न्यूज चैनल में कार्यरत एक महिला पत्रकार ने भी उन पर धमकाने और प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। इस चर्चित प्रकरण के बाद उन्हें भी प्रशासनिक आधार पर इधर किनारे लगाया गया हैं लेकिन यहां पर खुद को लिखा पढ़ी का मास्टर बताकर हर मामले को लिड कर रहे हैं।*