*👉🏿मुख्य मंत्री जी ! लाखों श्रद्धालुओं की आवाज—बांसी धाम को राजकीय मेला घोषित करे
कुशीनगर*|
*गौरी शंकर गुप्त*
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त्रेता युग की कहानी है, बांसी धाम से जुडी एक लम्बी कहानी है ! जिस धाम पर प्रभु श्रीराम स्नान ध्यान किये हो ! उस धाम पर ध्यान परम पुज्य योगी आदित्य ऩाथ का क्यों नही ? बांसी धाम तेरह एकड़ में फैली थी ? सिकुड़ कर अब पॉच एकड़ में रह गयी है ?
जब कार्तिक पूर्णिमा के दिन बांसी धाम पर मेला लगता था तो उस समय तेरह एकड़ में फैली जमीन पर लाखों की संख्या मे श्रद्धालु नारायणी नदी के बहते गंगा में डुबकी लगाते /लगाती थी | बताते है बुजुर्ग उस समय मेला राज दरबार पडरौना के देख रेख में लगता था और महिनों दिन मेला लगता था | मेले का एक अपना अस्तित्व था, छोटे-बड़े दुकानदार अपना दुकान लगाते थे, जाते समय मुस्करा के जाते थे | कलयुग के भू-माफिओं और धन के भूखे भेड़ियों ने धिरे-धिरे मेले का जमीन खा गये और कानून के रखवाले मुक दर्शक बनकर देखते रह गये |
नारयणी नदी व बांसी धाम की आपस में एक गहरा रिश्ता है ! गंगा मॉ का नाता मर्यादा प्रभु राम से था ! कलयुगी लोगों ने नारायणी नदी से बांसी धाम का ऐसा नाता तोड़ा “मॉ का दिल” दिल के अरमान ऑसुओं में बह गये | मॉ की एक सपना थी ! धरती पर श्रीराम लक्ष्मण भरत व शत्रुधन जैसे पुत्र जन्म लेंगे और धरती को स्वर्ग बनायेंगे और मॉ गंगा को प्रतिदिन आरती के खुसबू से प्रसन्न करेंगे, परन्तु सपना तो सपना ही रह गया |
कहते है बुजुर्ग अगर नारायणी नदी का नाता फिर से बॉसी धाम से जुड़ जाय तो मॉ का मोतियों जैसा आंसू यू ही थम जाएगा साथ ही हमारे श्रद्धालु पवित्र गंगा में डुबकी लगाने से उनके पाप कट जायेंगे | श्रद्धालुओं ने कहा बॉसी धाम को अगर राजकीय मेला घोषित कर दिया जाए तो इन्टरनेशनल मेला बन जायेगा |
आई कैन न्यूज के माध्यम से कुशीनगर के प्रतिनिधियों एवं प्रशासन से प्रभु श्रीराम के लाखों भक्तों ने कहा फिर से नारयणी नदी को बांसी धाम से जोड़ दें, ताकि बहती गंगा अपने अस्तित्व में आ सकें, तो वही राम के भक्तों ने कहा उत्तर प्रदेश की सरकार बांसी धाम को राजकिय मेला घोषित करें |